दो साल बाद अखाड़ों के साथ निकला झिलमिल झांकियों का कारवां

मुंबई के बाद प्रदेश में इंदौर ही ऐसा इकलौता शहर है, जहां गणेश उत्सव को आज भी पुरानी परंपरा और उत्सव के साथ हर्षोल्लास से मनाया जाता है। शहर में 130 साल से मनाए जा रहे गणेशोत्सव की धूम अनंत चतुर्दशी के दिन निकलने वाले चल समारोह में देखने को मिली। कोरोनाकाल के बाद यह पहला मौका है जब चल समारोह को शहर के लोगों द्वारा पूरे उत्साह के साथ निकाला गया। इस चल समारोह में गणेश जी की आकर्षक झांकियां शामिल थीं। शहर भर के लोगों ने इस आयोजन में बड़े उत्साह के साथ हिस्सा लिया।

इंदौर : इंदौर शहर में गौरवशाली ऐतिहासिक परंपराओं को बनाए रखते हुए कोरोनाकाल के दो वर्ष के अंतराल के बाद इस वर्ष अनंत चतुर्दशी चल समारोह 2022 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शुक्रवार शाम को शहर की सड़कों पर रंगबिरंगी झिलमिलाती झांकियों का कारवां निकाला गया जिसमें खजराना गणेश मंदिर की झांकी सबसे आगे थी। इसमें अखाड़ों के कलाकारों ने जमकर करतब दिखाए। जिसे देखने के लिए इस बार फिर लोगों की भारी उमड़ पड़ी। लोगों का उत्साह भी चरम पर था।

शाम ढलते ही रंगबिरंगी रोशनी वातावरण में फैल गई। लोगों का उत्‍साह भी चरम पर था। जैसे-जैसे झांकियों का कारवां आगे बढ़ता जा रहा था, इसे देखने लोगों की भीड़ भी बढ़ती जा रही थी। झांकियों के कारवां को देर रात तक हजारों लोगों ने निहारा। कई सालों बाद इस बार लोगों की ज्यादा भीड़ भी देखने को मिली। झांकियों को निहारने के लिए इंदौर की जनता शनिवार अलसुबह तक सड़कों पर डटी रही। सभी झांकियों को चक्कर लगाकर वापस आने में सुबह 5 से ज्यादा बज गए थे। इस दौरान भी जनता का उत्साह देखते ही बनता था। वहीं अखाड़ों के कलाकार भी घंटों कतरब दिखाते रहे, लेकिन उनका जोश सुबह तक कायम रहा। कोरोनाकाल के दो साल बाद निकले चल समारोह में इस बार ऐसा लगा मानो पूरा इंदौर उमड़ पड़ा हो। लोगों ने झांकियां देखी और इन्हें बनाने वाले कलाकारों की सराहना भी की।

इस बार छह मिलों की 15 झांकियाँ :-
कल्याण मिल गणेशोत्सव समिति – जय जवान जय किसान थीम पर झांकी
होप टेक्सटाइल मिल – भगवान विष्णु द्वारा मोहनी रूप में भस्मासुर के साथ नृत्य तथा भस्मासुर द्वारा भगवान शिव को भस्म करने का दृश्य
नगर निगम ने तीन झांकियां निकाली :-
पहली झांकी में शहर की आदर्श ट्रैफिक व्यवस्था दिखाई गई थी। इसमें दो पहिया वाहन, सिटी बस और मेट्रो दौड़ती दिखेगी।
दूसरी झांकी में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्रतिकृति और
तीसरी झांकी में राधा-कृष्ण की रासलीला

इस बार छह मिलों की 15 झांकियों के साथ खजराना गणेश मंदिर, आइडीए और नगर निगम की तीन-तीन झांकियां लोगों को देखने को मिली। स्पूतनिक ट्यूटोरियल एकेडमी की तीन, जय हरसिद्धि मां सेवा समिति और शास्त्री कार्नर नवयुवक मंडल की एक-एक झांकी भी शामिल थी। चल समारोह के दौरान अखाड़े तलवार, बनेठी और पटा घुमाकर कला का प्रदर्शन कर रहे थे। झांकियों में समन्वय के लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए गए थे। धार्मिक विषयों के साथ, स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव और शहर विकास के माडल को झांकियों में शामिल किया गया है। झांकियों में शिव के डमरू पर थिरकते बाल गणेश और आदर्श यातायात व्यवस्था में सिटी बस व मेट्रो ट्रेन दौड़ती दिखेगी।

1924 से शुरू हुई थी परंपरा

इंदौर में झांकियां निकालने की परंपरा 1924 में मिलों से शुरू हुई। सर सेठ हुकमचंद की हुकमचंद मिल ने सबसे पहली झांकी निकाली थी। समय के साथ कई मिलें इसका हिस्सा बनीं। मिलें बंद होने चलते इस परंपरा के बंद होने की बात चली तो नगर निगम, आइडीए के अतिरिक्त कई धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने भी झांकी निकालना शुरू कर दिया।

दरअसल आजादी के पूर्व स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1920 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा मुंबई शहर की कपड़ा मिलों में इस उत्सव की शुरुआत की गई थी। उस दौरान उद्देश्य था आजादी आंदोलन से जुड़े हुए लोग इस उत्सव के बहाने मिलकर आजादी की योजना बनाते थे। इंदौर में भी 1924 के करीब इस उत्सव की शुरुआत हुई, यहां के मजदूर कर्मचारियों ने अपने चंदे और यहां स्थापित कपड़ा मिलों के सहयोग से अनंत चतुर्दशी के चल समारोह के लिए अलग-अलग मिलो के हिसाब से 3-3 चलित झांकियां बनाने की शुरुआत की थी। उसके बाद से इंदौर के प्रमुख इलाकों में आज तक अनंत चतुर्दशी का चल समारोह और झांकियां निकालने की परंपरा कायम है।

ड्रोन से भी की जा रही झांकी मार्ग की निगरानी

खानपान के साथ चला खरीदारी का दौर
झांकी देखने के लिए राजवाड़ा क्षेत्र में भी भीड़ नजर आई। सड़क पर खाने पीने की दुकानों पर तो भीड़ लगी रही साथ ही फुटपाथ पर बिकने वाले खिलौने और अन्य वस्तुओं की भी खरीदारी लोग करते रहे। उत्सवी रंग में इंदौर का राजवाड़ा भी रंगा हुआ थे। झांकी मार्ग पर सुरक्षा के लिए चार हजार से भी ज्यादा पुलिस जवान तैनात थे। जवान ड्रोन कैमरे से भी झांकी मार्ग की निगरानी रख रहे थे।

कोरोना ने लगाया था अड़ंगा
झांकी का सिलसिला 1975 से 1977 तक इमरजेंसी में भी जारी था लेकिन 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण यह परंपरा टूट गई। प्रशासन ने झांकियां निकालने पर रोक लगा दी थी।

कोरोना संक्रमण काल में 2 साल से यह परंपरा अवरुद्ध हुई थी, लेकिन इस वर्ष (2022) इंदौर के तमाम उत्सवप्रिय रहवासी एवं नगर निगम इंदौर विकास प्राधिकरण समेत तमाम मिलों के मजदूर इस बार फिर बड़े पैमाने पर अनंत चतुर्दशी महोत्सव के लिए झांकियां निर्माण से लेकर उत्सव को अपने अनूठे रंग में मनाने की व्यापक तैयारियां कर चुके थे। इस उत्सव के लिए खास तौर पर इंदौर नगर निगम ने शहर के पारंपरिक झांकी मार्ग को बारिश के बाद पेच वर्क करके अपग्रेड किया गया। इसके अलावा इस बार झांकी मार्ग को चौड़ा किए जाने का लाभ भी पूरे समारोह को मिला। नगर निगम द्वारा पूरे शहर को लाइट से सजाया गया। इसके अलावा झांकियों को परंपरा और उत्साह के रूप में निकलने के लिए सभी झांकियों के नंबर चेंज किए गए। वहीं अखाड़ों को भी बारी-बारी से अपना प्रदर्शन करते हुए निकलने की तमाम व्यवस्था की गई। इसके अलावा पूरे झांकी मार्ग और उत्सव के दौरान तत्काल सफाई के लिए भी नगर निगम में सभी क्षेत्र के सफाई कर्मचारियों को तैनात किए गए।

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