दोनों ही दल ऐसे चेहरों की तलाश में थे जो केजरीवाल को टक्कर दे सकें

नई दिल्ली (Vivek Rathore) तकरीबन एक साल बाद दिल्ली में चुनावी दौड़ एक बार फिर शुरू हो चुकी है। चुनाव की इस रेस से कई पुराने चेहरे गायब हो चुके हैं और कुछ चेहरों का नेतृत्व बदल गया है। एक तरफ अरविंद केजरीवाल की टीम है तो दूसरी तरफ अमित शाह का मेनेजमेंट। इसे अमित शाह का मेनेजमेंट ही कहेंगे कि अब तक पीएम मोदी और पूर्व सीएम केजरीवाल के बीच माना जाने वाला मुकाबला बेदी v/s केजरीवाल हो गया है। जबकि कांग्रेस में आंतरिक विद्रोह का पेंच अब तक फंसा हुआ है और कांग्रेस चुनाव की इस दौड़ में तीसरे नंबर की पार्टी मानी जा रही है। साल 2013 के चुनाव के कई आम आदमी वाले चेहरे इस बार के चुनाव में खास हो चुके हैं।

खास आदमी वाली फहरिस्त में सबसे पहला नाम पहली महिला IPS किरण बेदी का है। किरण बेदी ने चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। कभी पीएम मोदी से गुजरात दंगों का हिसाब मांगने वाली किरण बेदी आज उनकी तारीफों के कसीदे पढ़ रही हैं और पढ़ें भी क्यों ना पार्टी ने चार दिन में ही उन्हें सीएम पद का उम्मीदवार जो घोषित कर दिया है। बीजेपी की सीएम पद की उम्मीदवार किरण बेदी दिल्ली के कृष्णानगर से चुनाव लड़ेंगी।

फहरिस्त में दूसरा नाम शाजिया इल्मी का है। पिछले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की स्टार कैंडिडेट रहीं शाजिया इल्मी के मुस्लिम वोट बैंक से जुड़े एक वीडियो पर खूब चर्चा बटोरी थीं। शाजिया ने पूर्व आर्मी चीफ और बीजेपी के उम्मीदवार जनरल वीके सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने का दंभ भरा था। हालांकि शाजिया चुनाव में अपनी जीत दर्ज नहीं करा पाई थीं। शायद इसी हार के कारण शाजिया ने आम आदमी पार्टी का एन वक्त पर साथ छोड़ दिया और आप की घुर विरोधी मानी जाने वाली बीजेपी में शामिल हो गईं।

पहली ही बार में डेब्यू करते हुए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में अपनी सरकार बनाई थी, लेकिन सरकार बनते ही पार्टी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे। सबसे पहले विरोध पार्टी के रत्नों में शुमार विनोद बिन्नी ने किया। बिन्नी ने केजरीवाल पर अलोकतांत्रिक फैसले लेने का आरोप लगाया था, लेकिन अब बिन्नी का चेहरा भी आम से खास हो गया है। बिन्नी अब बीजेपी के नेता बन चुके हैं।

फहरिस्त में चौथा नाम धर्मेन्द्र कोली का है। धर्मेन्द्र कोली आरटीआई कार्यकर्ता संतोष कोली के भाई हैं। संतोष ने आरटीआई के जरिए कई अहम खुलासे किए थे। जिसके चलते उसकी हत्या कर दी गई थी। आम आदमी पार्टी ने संतोष को शहीद के रूप में पेश किया था, लेकिन अब संतोष के भाई धर्मेन्द्र ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया है और बीजेपी में शामिल हो गए हैं।

दिल्ली चुनाव फतेह करने के लिए बीजेपी ने अपने तरकश में जो तीर इकट्ठा किए हैं उसे अमित शाह की रणनीति माना जा रहा है। दरअसल पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है, कई पुराने और दिग्गज चेहरे इस चुनावी जंग से बाहर हैं। यहां बीजेपी ने पिछली बार सीएम पद के लिए हर्षवर्धन की घोषणा की थी। वो अब केन्द्र की राजनीति कर रहे हैं, वहीं शीला दीक्षित को मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस के पास भी कोई दमदार चेहरा नहीं बचा है। दोनों ही दल ऐसे चेहरों की तलाश में थे जो केजरीवाल को टक्कर दे सकें। किरण बेदी के शामिल होने के बाद बीजेपी की तलाश तो खत्म हो गई, लेकिन अब मुसीबत कांग्रेस की है। जिसे अब तक कोई दमदार चेहरा नहीं मिला है।

चुनाव की घोषणा होने तक बीजेपी के पास भी कोई ऐसा चेहरा नहीं था जो केजरीवाल को टक्कर दे सके। जिसे लेकर बीजेपी में खूब मंथन भी हुआ। तब एक नाम सामने आया किरण बेदी का। किरण बेदी को एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी की सदस्यता दिलाई गई, इस समय तक बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले थे। मनोज तिवारी ने भी कहा था कि किरण बतौर सदस्य बीजेपी में शामिल हुई हैं। हालांकि एक इशारा बीजेपी ने जरूर दिया था। बीजेपी की सदस्यता लेने के वाले सभी नेताओं को फोटो अमित शाह के साथ थे, लेकिन किरण बेदी एकमात्र ऐसी नेता थीं जो बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद सीथे पीएम मोदी के साथ फोटो में दिखाई दीं।

बीजेपी ने अब केजरीवाल को उसी के मोहरे मात देने की तैयारी कर ली है। किरण को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर बीजेपी अपनी रणनीति साफ कर दी है, लेकिन बीजेपी की इस रणनीति पर सवालों के साथ-साथ संगठन के नेताओं के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। सवाल ये कि क्या बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल ली है? बीजेपी के खांटी नेताओं का क्या होगा जो सालों से बीजेपी की सेवा कर रहे हैं? वहीं सबसे पहले विरोध मनोज तिवारी ने किया। हालांकि बड़े नेताओं की फटकार के बाद मनोज के स्वर बदल गए और उन्होनें पार्टी के फैसले को सही ठहरा दिया। विरोध करने वालों की सूची में दूसरा नाम दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का है। सतीश उपाध्याय को चुनाव लड़ने से मना कर दिया गया है, जबकि सतीश को इस बात पार्टी से कुछ अच्छे की उम्मीदें थीं।

दिल्ली का विधानसभा चुनाव बड़ा ही रोचक होने वाला है। इससे पहले कि चुनावों में मुकाबला सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी का होता था, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली में अपनी जड़े जमा ली हैं। साल 2013 विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी एक बार फिर पूरी दमदारी के साथ चुनावी मैदान में है। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी का परफॉर्मेंस देखकर कांग्रेस को इस दौड़े से दूर ही रखा जा रहा है, लोग अब मुख्य मुकाबला आप और बीजेपी का मान रहे हैं। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं बीजेपी ने 29 सीटों पर बाजी मारी थी। वहीं इस बार चुनाव का मुद्दा भी बदल चुका है। दिल्ली में पिछले चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमाया हुआ था, लेकिन अब यही मुद्दा विकास का हो गया है। साथ ही इस चुनाव में तकनीक का भी पूरा इस्तेमाल किया जा रहा है। बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों को फेसबुक और ट्विटर का इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया है, साथ ही ट्विटर पर 50 हजार फोलोअर्स होने की भी शर्त बीजेपी ने प्रत्याशियों के सामने रखी है।

इस बार के चुनाव में केजरीवाल को अपनी पिछली गलती का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। हालांकि केजरीवल ने जनता से एक बार पूर्ण बहुमत के साथ मौका देने की अपील की है, और पांच साल कर जनता की सेवा करने का वादा किया है। वहीं बीजेपी की सीएम उम्मीदवार किरण बेदी केजरीवाल की इस गलती को इस चुनाव में भुनाने का पूरा प्रयास करेंगी। इस बात का संकेत किरण बेदी अपनी बयान में दे चुकी हैं। बीजेपी की सदस्यता लेने पर केजरीवाल ने किरण बेदी पर हमला किया था, जिस पर पलटवार करते हुए किरण बेदी ने केजरीवाल को भगोड़ा कहा था। किरण बेदी के इस बयान को बड़े मुद्दे के तौर पर देखा जा रहा है। इस बार बीजेपी को भी अपने लोगों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। किरण बेदी को सीएम पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीजेपी में विरोध के स्वर मुकर हुए हैं। पार्टी के कई सक्रिय नेता इस घोषणा के बाद पार्टी की रणनीति से खफा हैं। ये नेता पार्टी की जीत के लिए रास्ते का पत्थर भी बन सकते हैं।

इस सभी मुद्दों और वादों का फैसला 10 फरवरी को सुनाया जाएगा। जो दिल्ली की जनता करेगी।

  • Related Posts

    अब नहीं होगी व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन की गिरफ्तारी-सुप्रीम कोर्ट

    मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 A के तहत आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर गिरफ्तारी का नियम हटा दिया है. एक जनहित याचिका…

    निजामुद्दीन मरकज़ से रानीपुरा तक कहानियां एक जैसी

    इस संपादकीय के बाद शायद “प्रजातंत्र’ को सांप्रदायिक करार दे दिया जाए। कुछ लोग यह भी कहेंगे कि देखिए, यही है आजकल की हिंदी पत्रकारिता का असली चेहरा। जिसमें मुसलमानों…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    इंदौर के इतिहास में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव मैदान छोड़ा

    • By admin
    • April 30, 2024
    • 514 views
    इंदौर के इतिहास में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव मैदान छोड़ा

    मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर

    • By admin
    • April 29, 2024
    • 629 views
    मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर

    महाकाल मंदिर में शुल्क देकर भी शीघ्र दर्शन नहीं कर सकेंगे

    • By admin
    • December 27, 2023
    • 582 views
    महाकाल मंदिर में शुल्क देकर भी शीघ्र दर्शन नहीं कर सकेंगे

    जब दिल ही टूट गया

    • By admin
    • December 27, 2023
    • 617 views

    चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है….?

    • By admin
    • December 21, 2023
    • 646 views
    चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है….?

    भगवान के साथ रोटी

    • By admin
    • December 21, 2023
    • 777 views
    भगवान के साथ रोटी