Bacchapann ke woh din…

बच्चपन के वो दिन…
कितने सुहाने थे…
न किसी का डर था…
न झूठे बहाने थे…
खेलना ही ज़िन्दगी बन चूका था,
सिर्फ मस्ती और मोज के दिन बिताने थे…!!
बारिश में भीगने का भी अलग अंदाज़ होता था…
तब आसू न छुपाते थे…
चाहे जीत हो या हो हार…
सब उत्सव जेसे मनाते थे…!!
दिल में न किसी के लिए नफरत थी…
न था किसी के लिए सच्चा प्यार..:))
एक ही चीज़ सीखी थी की…
सभी लोगो को मनाओ यार…!!
सोने चाँदी की कीमत का अंदाजा न था…
लगते सब खिलोने थे…
क्यों आगए हम इन बड़े लोगो के दल-दल में…
वो बच्चपन्न के दिन ही कितने सुआने थे…!! 🙂 🙂 !!

Written By :- Aaishwarya Rai

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