लक्ष्मी बम V/S कंचना

किसे कितने नम्बर
कौन होगा बेहतर

खिलाड़ी कुमार का एक बडी और महत्वकांक्षी फ़िल्म लक्ष्मी बम 9 नवम्बर को डिज्नी हॉटस्टार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित होने जा रही है,
फ़िल्म तमिल फिल्म कंचना (2011) की रीमेक है,
तो आज की चर्चा लक्ष्मी बम और कंचना पर होना लाजमी ही है दोनो की तुलना या नापतोल होना भी लाज़मी हो जाता है, वेसे भी हमारी मनःस्तिथिया ऐसी विकसित हो चुकी है कि हम बिना नापतोल के संतुष्टि तक नही पहुचते है,
लक्ष्मी बम और कंचना
फ़िल्म हास्य और भय(डर) का शानदार समायोजन है,, इस जॉनर में फिल्मो में कम हि प्रयोग किये गए है,
अक्षय ख़िलाड़ी कुमार पिछले दशक से हास्य में कामयाब रहे है
उनकी एक फ़िल्म भूल भुलैया भी इसी जॉनर में थी , हास्य और भयानक (डर) का समायोजन पर फ़िल्म आ चुकी है
आज हम दोनों फिल्मों के अलग अलग आयाम पर चरणबद्ध चर्चा करेंगे

सहयोगी अदाकार
लक्ष्मी बम में अक्षय के साथ कियारा आडवाणी इश्क फरमाते नज़र आएगी,
घरवालो के किरदारों में आएशा रज़ा, राजेश शर्मा, मनू ऋषि जेसे कुछ मंजे हुवे सहयोगी अदाकार साथ निभाएंगे,
जिनकी प्रतिभा पर सवाल उठाना खुद पर सवाल उठाने जैसा होगा,,,
कंचना में राज लक्ष्मी मुख्य अभिनेत्री थी
मम्मी और भाभी के किरदारों में नए अदाकार थे जिन्होंने उसी फ़िल्म से अपनी दर्शको और फैन फॉलोइंग शुरू की थी
तो
इस मामले में लक्ष्मी बम एक कदम आगे निकल जाती है,

दर्शको तक पहुच
कंचना एक छोटी बजट फ़िल्म थी जिसकी दर्शको तक पहुच भी सीमित दायरे तक ही थी, राघव लारेंस आज बड़ा नाम है लेकिन उस समय तक उनका दायर भी सीमित ही था,
लक्ष्मी बम के साथ खिलाड़ी कुमार का नाम जुड़ते ही इनका आभामंडल अपने आप मे बड़ा हो जाता है साथ ही हॉटस्टार पर प्रदर्शन से इसका दायरा और बड़ा हो जाता है
इस मामले में भी लक्ष्मी बम एक और कदम और आगे निकल जाती हैं,
तो लक्ष्मी बम दो कदम आगे निकल गई

हास्य और व्यंग्य
कंचना के कॉमेडी पंचेस और परिस्तिथि जन्य हास्य ने जनता को हंसा हंसा कर भरपूर मनोरंजन किया था,
लक्ष्मी बम के ट्रेलर में जो कॉमेडी पंचेस देखने सुनने को मिल रहे है वह कमज़ोर पड़ रहे है
तो इस मामले में कंचना एक कदम आगे निकलती लग रही है,

VFX कम्प्यूटर जनित एनीमेशन, तकनीक
कंचना 2011 में प्रदर्शित हुई थी साथ ही फ़िल्म का बजट सीमित था
उस सम्यव VFX कम्प्यूटर जनित एनीमेशन में कंचना फ़िल्म आधुनिक नही थी फ़िल्म के विजुअल इफेक्ट काम चलाऊ होने के साथ सीमित बजट की बानगी भी गा रहा था,
लेकिन आज हम
लक्ष्मी बम 2020 के अति आधुनिक फ़िल्म काल मे आ रही है तो इसमें VFX कम्प्यूटर जनित एनीमेशन आधुनिक होना लाज़मी भी है
इस फ़िल्म का बजट भी बड़ा है
फ़िल्म में शानदार विजुअल इफेक्ट के दीदार होने है, जो कि बजट पर निर्भर होता है, जिसकी एक झलक ट्रेलर में मिल चुकी है,
तो इस मामले में कंचना फिर एक कदम आगे निकल जाती है,
किरदार का प्रस्तुतिकरण
इधर अक्षय जिस शिद्दत, लगन, मेहनत, समर्पण से किरदार के चारो आयाम- आंगिक, वाचिक, अहारिक, सात्विक अभीनय को प्रस्तुत करते है वह सर्शको के दिलो दिमाग पर छाप छोड़ देता है,
उधर राघव लारेंस ने भी जिस ईमानदारी से किरदार प्रस्तुत किया था वह भी उनके पूरे फिल्मी जीवन का सबसे शानदार प्रस्तुतिकरण साबित हुआ था
राघव ने किरदार मौलिक रूप से गढ़ा था
अब अक्षय पर उनकी नकल या समकक्ष पहुचने का खतरा बन गया है
यहां एक कदम राघव की शानदार प्रस्तुतिकरण के कारण
एक कदम कंचना आगे निकलती है
संगीत
कंचना में संगीत कमज़ोर कड़ी साबित हुआ था
लेकिन लक्ष्मी बम में गीत संगीत बेहतर और सटीक लग रहा है
निर्देशन
दोनो के निर्देशक-लेखक एक ही है राघव लारेंस,,,
राघव ने कंचना में मूल और मौलिक कृति गढ़ी थी
लेकिन यहां मौलिक की नकल है
तो कंचना एक कदम आगे निकल जाती है
इस चर्चा के हिसाब आए कंचना चार कदम आगे और लक्ष्मी बम तीन कदम आगे दिखाई देती है

फ़िल्म से हटकर छोटी चर्चा
मौलिक कृति का अपना वजूद और सरमाया होता है
नकल तो नकल हो होती है
रफी, लता, किशोर के गीतों की नकल नकल ही होंगी
मौलिक मौलिक ही होगी,
मैं कंचना के समर्थन में
परन्तु मैं यह नही बोल रहा कि लक्ष्मी बम किसी भी स्तर पर कमज़ोर पड़ने वाली है
फ़िल्म से पहले इतनी बड़ी चर्चा फ़िल्म की सफलता की निशानी है

फ़िल्म समीक्षक
इदरीस खत्री

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