“जानता हूँ मैं यह सब कि…”

जानता हूँ मैं यह सब कि
है आपको मुझसे बहुत-सी अपेक्षाएँ ….
किन्तु जानते यह नहीं कि
मैं हूँ अकिंचन ….
उलझा हुआ स्वयं अपने ही में
निर्भर हूँ पूर्णतः उस जगत-नियंता पर …,
इस पर-निर्भरता की भूमि पर होकर खड़े
अब बताओ आप स्वयं-ही
क्या दे सकता हूँ मैं आपको ,
सिवा अपनी हार्दिक शुभकामनाओं के ?
आपकी ज़िन्दगी की प्रत्येक सुबह शुभ हो …नवीन कर्म की प्रेरक हो
प्रत्येक दोपहर उपलब्धि-जन्य हो
प्रत्येक शाम सुहानी हो
और
प्रत्येक रात्रि आनंदित करने वाली मधुर हो …

डॉ. सुरेन्द्र यादव, इंदौर ( मध्य-प्रदेश)

  • Related Posts

    २०२३ की सबसे शानदार कविता

    एक अकेला पार्थ खडा है भारत वर्ष बचाने को।सभी विपक्षी साथ खड़े हैं केवल उसे हराने को।।भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने माया जाल बिछाया है।भ्रष्टाचारी जितने कुनबे सबने हाथ मिलाया है।।समर…

    रंग… अब बिदा भये

    बासन्ती बयारों के संग आये रंग, फ़ागुण में छाए और जमकर बरसे अगले बरस फिर लौटकर आने का वादा कर छोड़ गए अपनी रंगत चौक-चौबारों, गली-मोहल्लों में छोड़ गए अपने…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    इंदौर के इतिहास में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव मैदान छोड़ा

    • By admin
    • April 30, 2024
    • 395 views
    इंदौर के इतिहास में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव मैदान छोड़ा

    मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर

    • By admin
    • April 29, 2024
    • 495 views
    मध्य प्रदेश में बना दुनिया का सबसे ऊंचा जैन मंदिर

    महाकाल मंदिर में शुल्क देकर भी शीघ्र दर्शन नहीं कर सकेंगे

    • By admin
    • December 27, 2023
    • 473 views
    महाकाल मंदिर में शुल्क देकर भी शीघ्र दर्शन नहीं कर सकेंगे

    जब दिल ही टूट गया

    • By admin
    • December 27, 2023
    • 484 views

    चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है….?

    • By admin
    • December 21, 2023
    • 519 views
    चार वेद, जानिए किस वेद में क्या है….?

    भगवान के साथ रोटी

    • By admin
    • December 21, 2023
    • 383 views
    भगवान के साथ रोटी