सिर्फ तुम थे
दर्पण से आज बातें की बेहिसाब तुम्हारे प्रतिबिम्ब को मुस्काने दीं बेहिसाब प्रतीक्षा भरे दृगों में तुम ही थे …. सिर्फ तुम ही थे आंजन की सलाई से भरा सावन…
बसंत रुत आई
मेड़ों की पीली सरसों खेतों की भीगी माटी हरी हरी अमराइयाँ आई ,,, आई ,,, बसंत रुत आई पत्तों से छन छनकर आती उमंगों की घाम पिघलती हुई अनुभूतियाँ आई…
विवाह – vivah
विवाह एक उत्सव जो लाता है जीवन मे उत्साह कुछ दिनों पहले शुरू हो जाती है तैयारियाँ धर्मशाला , टेन्ट-हाउस , कैटरींग जैसी जिम्मेदारीयाँ नये-नये कपड़े , नये-नये आभूषण घर-धर्मशाला…
मैं आज़ाद कहाँ हुई?
माँ के आँचल से उतरकर बस धरा पर पैर रखा ही था , लगा कि मैं आज़ाद हो गयी पिता कि उंगली थामे थामे , अचानक एक दिन अकेले कदम…
कर रक्खा
मेरे सपनों ने मुझे सुला कर रक्खा … मेरे अपनों ने मुझे जगा कर रक्खा … यूँ तो मुस्कान रही चेहरे पर हमेशा, पर उदासी ने गला दबा कर रक्खा…
नारी के अनेक रूप
लडकियाँ यदि बहन है तो शुचिता की दर्पण है || लडकी यदि पत्नी है तो खुद का समर्पण है || लडकी अगर भाभी है तो भावना का भंडार है ||…
मोक्ष के द्वार पर
मैं भावनाओ में बह जाना चाहता था , पता नहीं भावनाओं का बहाव कब रूद्र से रौद्र हो गया और मैं बहता गया बहता गया ठोकरें खाते खाते किसी पत्थर…
मोह-माया
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली । ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥ दोलत के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा…
क्यूँ मै भर चली
पलकों की कोर में..नैनों के छोर में.. अटका हुआ है..पारदर्शी एक बबूला.. अनमोल मोती..सतरंगी एक ख्वाब. समेटे हूँ…बिखर न जाये कहीं,,, लुढ़क न जाये कहीं,,रुखसार पे…. स्वप्न सलोना मचल रहा…
दिल्ली तक बुलवाओगे
क्या भारत माँ की छाती पर चीनी झंडा लहराओगे. वो घर मे घुसकर बैठे हैं क्या दिल्ली तक बुलवाओगे. कद भी जिनका छोटा है अपने जवान की छाती से. बैठे…