एक प्राथना मेरी साईनाथ से

जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय चहूं ओर तूफ़ान के धारे, मैली हवा वीरान किनारे जीवन नैया सांई सहारे…

याद तुम्हारी

नदिया के हिलोरों सी याद तुम्हारी, त्योहारों के उल्लास सी याद तुम्हारी. कुम्हार की माटी की सोंधी महक सी याद तुम्हारी, समंदर की रेत के शंख सीपियों सी याद तुम्हारी.…

दो वक़्त की रोटी

काश दो वक़्त की रोटी सबके किस्मत में होती, न होती कही छिना झपटी न होता देह व्यापार, न टूटती सपनो की माला न बिखरते मोती, काश दो वक़्त की…

माँ तो माँ है

माँ तो माँ है ‘माँ’ जिसकी कोई परिभाषा नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं, जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है और…

चाँद का फलक

चलो गगन तक घूम आयें पंछियों सी उड़ान भर आयें ओस की झरती बूंदों में भीग आयें हवा की सरगोशियों में पत्तों कीसरसराहट सुन आयें पर्वतो के देवदार की सवारी…

माँ का गीला बिछौना

कुछ भूल से गए हो तुम माँ का गीला बिछौना तुम्हारा सुख से सूखे में सोना नींद से उठकर तुम्हे कम्बल में ढंकना क्या केवल फ़र्ज़ था उनका पापा के…

साईं का साथ

जब कोई तूफ़ान हमें दिल से हिला जाता है तब साईं बाबा का साथ ही हमें बचा पाता है… उस तूफ़ान से घबराकर हारने लगते है जब हम तो साईं…

सुखद सांस

वो क्रूरता का पुजारी था अर्थियों का व्यापारी था उसका न कोई मजहब था ना ही कोई जात थी उसने अस्पताल तक को ना छोड़ा मंदिर मस्जिद को भी तोडा…

"दीदी" तुम्हारा "भाई"

“दीदी” तुम्हारा “भाई” एक रिश्ता – बड़ा अनाम सोचता हूँ दूं – उसे कोई अच्छा सा नाम . सावन सा उमड़ता – घुमड़ता रीझता हो . खिजाता हो – खीजता…

“दीदी” तुम्हारा “भाई”

“दीदी” तुम्हारा “भाई” एक रिश्ता – बड़ा अनाम सोचता हूँ दूं – उसे कोई अच्छा सा नाम . सावन सा उमड़ता – घुमड़ता रीझता हो . खिजाता हो – खीजता…